जो पास रहते हैं वो हमेशा पास होते हैं.
कल अपने दादाजी से कई दिनों बाद बात हुयी तो वो बहुत खुश होके बोले की मेरा दोस्त सुरेश आया है मुझको मिलने. तो मुझको हंसी आ गयी. मैंने कहा की दादाजी इसमें इतना खुश होने की क्या बात है? वो तो हर वक़्त आपके साथ ही रहते हैं. तो दादाजी ने भी हंस के जवाब दिया “हाँ बेटा एक यही तो है जो दूसरी क्लास से अब तक मेरा साथ निभा रहा है”. इसको बुखार होता तो मैं सिरहाने बैठा रहता, मेरा जब भी हाथ पैर टूटा यही मुझको साइकिल पर लाद के स्कूल ले जाता, इंजिनीरिंग साथ की, नौकरी के इंटरव्यू साथ दिए हैं,एक दूसरे की शादिओं में अचकन सूट साथ सिलवाए. एक दूसरे के बच्चे होने में अस्पतालों के फेरे साथ लगाए हैं. तुम्हारे पापा बुआ जब छोटे थे तो उनको टीके लगवाने से लेकर उनके स्कूल के एडमिशन तक के काम साथ किये. फिर उनकी शादियां और बच्चे सब साथ साथ ही किये हैं. अब ये कहीं भी जाता है तो पहले मुझको बता देता है और पहुँचते ही फोन भी करता है की कब वापस आएगा. सारा भारत दर्शन साथ किया है हमने. अब तो हम दोनों अपनी अपनी पत्निओं साथ सिंगापुर जाने की सोच रहे हैं. पासपोर्ट बनवा लिए है.एक एयरलाइन्स बूढ़े लोगों को कम कीमत में टिकट दे रही है.
थोड़ी देर बात करके मैंने फ़ोन रख दिया. बहुत ही ग्लानि हुयी मन में की आजकल हम लोग अपने बड़े बूढ़ों को पूछते नहीं और नहीं हमारे कभी इतने पक्के दोस्त हुए की इतना एक दूसरे को निभा लें.कोई टेंथ में छूट गया तो कोई ट्वेल्थ में कहीं खो गया. किसी को माँ ने शादी में नहीं बुलाने दिया तो किसी को पापा ने. किसी की गर्लफ्रेंड को मैं नहीं पसंद था तो कोई दोस्त मेरी बीवी को बुरा लगता था. मैं अट्ठाइस साल का एक बच्चे का बाप यहाँ शिकागो में कमा खा रहा हूँ और दोस्तों के नाम पे ऐसे ऐसे दोस्त हैं जिनको बस इस बात में दिलचस्पी है की मेरी घरेलु पत्नी उनके बच्चे को कुछ घंटे के लिए फ्री में बेबी सिटींग कर देगी क्या या फिर मैं उनसे किसी भारतीय समारोह के टिकट ऊँचे दाम में खरीद सकता हूँ क्या? मेरे पास दोस्त नहीं है दादाजी जैसा. जिसके dil में छल कपट न हो और जो हर वक़्त दिल के पास हो.आपके पास है क्या?