“Badhai Ho” movie review!

बेहद उम्दा कलाकारों से भरी हुयी फिल्म, जोकि हर स्तर पे संतुलित रहती है और आपको एक पल को भी स्क्रीन से नज़रें नहीं हटाने देती. ऐसी फिल्म है “बधाई हो”.

कई बार शुरुआत में सीट पे बैठने और कई छोटी छोटी चीज़ें करने में दो तीन मिनट जाया कर देते हैं. पर अगर आप बधाई हो फिल्म में ऐसा करेंगे तो काफी कुछ खो देंगे.

शुरू से लेकर आखिर तक फिल्म आपको बांधे रखती है. आप ठहाके लगाकर हसेंगे और आपको कोई और घूरेगा भी नहीं क्यूंकि असल में सारे हाल में दर्शकों का यही हाल होगा.

आयुष्मान स्तब्ध कर देते हैं. वो इतने मंजे हुए अभिनेता हैं की हर दृश्ये में खुद को बेहद ख़ूबसूरती से प्रस्तुत करते हैं. बड़े शालीन किस्म के बेटे, घर में बेहद सुशील, दोस्तों के साथ खिलाडी और ऑफिस कलीग/प्रेमिका के साथ बेहद रोमांटिक युवा. उन्होंने इस पूरी फिल्म में दर्शकों को मन माफिक उच्च कोटि का अभिनय परोसकर अपना सिक्का जमा लिया है.

रेने के किरदार में सानिया मल्होत्रा आपके दिल में समां जाती हैं. वो आपको युवा पीनाज़ मसानी की याद दिला जाएँगी. बेहद युवा, बेहद सुन्दर और बेहद बेबाक प्रेमिका का किरदार उन्होंने बखूबी निभाया है. आप उनको देखते रह जायेंगे.

प्रियंवदा उर्फ़ नीना गुप्ता इतनी सुन्दर इतनी प्यारी माँ हैं इस मूवी में की आप हर पल उनको देखना चाहोगे की अब वो क्या कर रही हैं. घर में बेहद घरेलु पर एक शादी में जाके वो बड़ी ही खूबसूरत अंदाज़ में आपके सामने आती हैं. असल जिंदगी में वो बेहद स्टाइलिश हैं और इसका श्रेय उनकी डिज़ाइनर बेटी मसाबा को जाता है परन्तु इस फिल्म में वो लोधी कॉलोनी की सीधी साधी बहु जो हर वक़्त रसोई में घुसी रहती है का चरित्र बड़े तरीके से निभा गयी हैं. आप उनके साथ उनको व् उनके किरदार को जीना शुरू कर देते हो.आप उनके साथ एक दो मौकों पर रो भी पड़ो.

गजराज राव नीना गुप्ता के पति के किरदार में हैं और आपको दो दूनी चार के दुबे सर (ऋषि कपूर) की याद दिला देंगे. बेटे की गर्लफ्रेंड से बातचीत के सीन में उन्होंने दर्शकों के पेट में हंसा हंसा के दर्द करवा दिया है. मिडल क्लास बाप की भूमिका इतने बढ़िया तरीके से कम ही देखने को मिलती है. पत्नी से और माँ दोनों से दबने वाला कंजूस पति, उनसे अच्छा ये किरदार कोई नहीं निभा सकता था. उनकी बेचैनी और झिझक आपको जोर जोर से हंसने के लिए मजबूर कर देगी.

दादी के किरदार में सुरेखा सिकरी ने मानों एक ताज़े हरे आम के अचार की लम्बी सी फांक का काम कर डाला है. आप शायद ही किसी फिल्म में किसी किरदार पे इतना हँसे होंगे. वो बड़ी ही खुर्राट सास पर समझदार माँ का रोल करती दिखती हैं. फिल्म के आखिरी क्षणों में वो कई बातें सुना भी देती हैं. जो दिल को कहीं चुभ सी जाती हैं.

शार्दुल राणा को आप पहले भी देख चुके हैं. दम लगाके हईशा में वो आयुष्मान के साले बने थे अब छोटे भाई बने हैं. कभी कभी लगता है की वो आने वाले दिनों में ओमपुरी की कमी पूरी करेंगे.

शीबा चड्ढा कई उतार चढ़ाव भरी बॉलीवुड में अब पुरानी हो चली हैं. उनकी आंखें ही उनका सत्तर प्रतिशत किरदार निभा जाती हैं. वो बेहद स्टाइलिश और दमदार लगी हैं.

फिल्म बेहद कसी हुयी बनायीं गयी है. कहीं पे भी आपको ऊबने नहीं देती.

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