भारतीय टेलीकॉम कमीशन के सबसे पहले चेयर परसन थे सत्यनारायण गंगाधर पित्रोदा. लोग उनके सैम पित्रोदा नाम को ज्यादा जानते हैं. उनकी और राजीव गाँधी की जोड़ी ने भारत की उस अनकही परन्तु बेहद शक्तिशाली इलेक्ट्रॉनिक्स और सूचना क्रांति की नींव रखी थी जिसके कारण भारत के कोने कोने में रातो रात पीसीऔ खुल गए थे और लोग अपने नकचढ़े पड़ोसिओं के यहाँ एक फ़ोन करने की भीख मांगने की जगह खुद अपना मोबाइल खरीदने में सक्षम हो गए थे.
ये सिलसिला बहुत आगे तक जाने वाला था. कहने वाले तो यहाँ तक ताल ठोकते हैं की अगर राजीव जिन्दा रहते तो अगले चुनाव जीतने के बाद भारत में खुद का सिलिकॉन वेल्ली बनने वाला था और आज भारत विश्व में कंप्यूटर निर्माण का दिग्गज बन चुका होता क्यूंकि चीन उस वक़्त बेहद मंडी और आर्थिक पुनर्स्थापन के दौर से गुजर रहा था पर वहीँ भारत के पास बेहद मेधावी आईआईटी इंजीनियरों की फौज थी.
राजीव गाँधी के असमय जाने के बाद ही भारत में वो सबसे बड़ा दिमागी मंदी का दौर आया था जब बेहतरीन इंजीनियरों की एक बड़ी खेप अमरीका को प्रस्थान कर गयी थी. उसी उदासीन दौर को ब्रेन ड्रेन दौर कहा गया था. आरसे बाद आज सैम पित्रोदा को गुजरात के चुनावी रेलिओं में सक्रिय देख बहुत सुखद आश्चर्य हुआ. क्या वो राहुल गाँधी के लिए भारतीय जनता पार्टी की भुला दिए गए कर्मठ प्रमोद महाजन की भूमिका ले पाएंगे?