Let us give our brave soldiers a salute by heart! Fight for their betterement! 

कांग्रेस के मनीष तिवारी खराब रोटी के लिए संघर्ष करने वाले जवान तेज बहादुर के लिए फ्री में मुक़द्द्मा लड़ने उच्च अदालत जा रहे हैं. ट्वीट किया है उन्होंने. 

कमाल की बात है जो लोग ईमानदारी के बड़े बड़े ठेके उठाके सत्ता के गलियारों में दाखिल हुए थे वो खाने की क्वालिटी सुधारने के बजाये और भ्रष्ट उच्च सेना अधिकारीयों के खिलाफ सख्त कार्येवाही करने के बजाये उलटा चोर कोतवाल को डांटे के तर्ज़ पर काम कर रहे हैं और हंसने की बात है की जिस पार्टी पर इलज़ाम लगा के आये थे की कफ़न चोर हैं वो आज सैनिको की दुर्दशा के लिए मुक़द्द्मा लड़ने जा रहे हैं. 

हमको नौकरी करते वक़्त अपने शैक्षणिक सर्टिफिकेट्स दिखाना अच्छा लगता है, घर में पुलिस वेरिफकशन करवा के ही नौकर रखना सुरक्षित लगता है. जो आदमी हमारी गाड़ी मांगे और टंकी फुल करके वापस करता है वो सभ्य लगता है, पडोसी सही समय पे बर्तन वापस कर दे और उसमे कुछ अच्छा रख दे तो वो दुनिआ का काफी ईमानदार बंदा प्रतीत होता है. 

पर देश का खजाना, तकदीर और सारी व्यवस्था उन हाथों में सौंप देते हैं जो न तो साफ़ होते हैं, न योग्य होते हैं और न ही मानव सेवा करने के लिए ततपर होते हैं. 

हममें से कुछ इसीलिए नहीं बोलते क्यूंकि हमको लगता है की हमारा जन्म सिर्फ खाने के लिए, कमाने के लिए और हगने के लिए हुआ है और इस देश का कुछ नहीं हो सकता. क्यूंकि हम सब कहीं नहीं भ्रष्ट ही हैं. 

हममें कुछ जिनको भ्रष्टाचार ने पीड़ित किया हुआ है एक झंडा उठा के केजरीवाल के पीछे चल देते हैं की हाँ पढ़ा लिखा बंदा है, दंगे नहीं करवाए, अपने बच्चों की अरबो रुपयों की शायद शादियां नहीं करेगा और हमारे देश की तकदीर बदल जाएगी. 

बाकी हम सारे के सारे विदेश जाके अपने देश की व्यवस्था को गालियां देते रहेंगे की बड़ा गन्दा देश है, बड़े चोर नेता हैं और मिडिया तो बिका हुआ है. 

आज एक तेजबहादुर के नहीं लड़ोगे तो कल को हज़ार तेजबहादुर सीमाओं में परेशान हो हो के हमारे लिए मरेंगे. इन नेताओं के बच्चे तोपाँच पांच करोड की कारें लेके घूमेंगे क्यूंकि देश की सीमाओं पर तो गरीब आदमी मरता है. 

हम ईमानदारी से टेक्स इसीलिए देते हैं की सरकार की हमारे सैनिको के लिए कोई जवाबदेही न बने? अगर आज गरीब सैनिकों को वापस बुला कर राजनेताओं के बच्चो को सरहदों पर भेज दिया जाये तो उनको कैसा खाना मिलेगा हमको पता ही है.

अगर नहीं लड़ सकते जवान तेज बहादुर के लिए तो एक काम करें. दिन रात सरकार को कोसना चालु कर दीजिये. क्यूंकि अफ्रीकी कहावत है कि कोसने से अच्छे अच्छे भारी पेड़ भी एक दिन भरभरा के गिर जाते हैं. 

आईये अपने देश के एक गरीब जवान की रोटी के लिए लड़ें! वो हमारे लिए वहां तैनात है! आज हम उसके लिए नहीं लड़े तो कल हमारा सिर भी कुचला जायेगा! 

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