अभी शाम को केदारनाथ फिल्म देखने गए थे. अभी तक तीन चीज़ें इतनी देर रात तक दिल से नहीं जा रही हैं. केदारनाथ घाटी की सुंदरता जोकि फिल्म की शुरुआत से ही आपको बांधे रखती है, सुशांत सिंह राजपूत का मजबूर सा चेहरा और सारा अली खान की सुंदरता की भव्यता. वो बेहद सुन्दर हैं और शायद इस बात को जानती भी हैं. आपको कई वर्षों के बाद एक अभिनेत्री के चेहरे पर इतनी मासूमियत और कठोरता रक साथ देखने को मिलेगी. एक सीन में वो अपने मंगेतर के सामने बैठके उसको घूरती दिखाई देंगी. आपका दिल सहम जायेगा एक पल को. सारा अली खान शायद फिर से हिंदुस्तान में एक बार प्यारे प्यारे पंजाबी सूट्स का फैशन वापस ले आएंगी. वो इतनी आकर्षक लगी हैं हैं अपनी दुबली पतली फिगर में की उनको देख कर बेहद प्यार आता है.
यह फिल्म एक नए किरदार को आपके सामने पेश करता है निशांत दहिया. वो बेहद आकर्षक हैं और अपने किरदार की वजह से सुशांत सिंह राजपूत थोड़ी मार खा जाते हैं उनसे. पर इतनी बड़ी स्क्रीन पर इतनी देर तक अपने किरदार को जिस बखूबी से सुशांत निभा गए हैं वो बेहद हैरानी भरा है. महाभारत की कृष्ण रहे नितीश भारद्वाज को वापस सिनेमा की स्क्रीन पर देखना बहुत अच्छा लगा.
बहुत अच्छी मूवी है, अगर आपको घर बैठे एक बेहद रमणीय स्थल के दर्शन करने हों, एक चुलबुली लड़की की पहली पिक्चर देखनी हो और सुशांत सिंह राजपूत की जिंदगी का मील का पत्थर साबित होने वाली मूवी देखनी हो तो जरूर यह फिल्म देखें.
बहुत अच्छा लगा की बॉलीवुड में हर हीरो एक स्टूडियो में ही डुप्लिकेट्स से एक्टिंग करवा के पैसा कमाने में यकीन नहीं रखता. सारा अली खान के इतने ठन्डे पानी में डुबकी लगाने के बाद शायद सिर्फ सुशांत सिंह ने ही शायद सबसे ज्यादा मेहनत की होगी.
फिल्म का संगीत बेहद रोचक है.आपकी कानो में कुछ देर को सुकून जरूर मिलेगा. बाकि किरदार सहायक हैं और बेहद घरेलु हैं. पर एक बार फिर से जरूर कहूँगी की सारा अली खान कमाल की सुन्दर हैं.