Sanju movie – Characters based movie.u

अगर आप पूरी सच्चाई जानना चाहते हैं की संजय दत्त की पूरी कहानी इस फिल्म में होगी तो आप बेहद निराश हो जायेंगे. ये पूरी ईमानदारी से बनायीं गयी एक निहायत ही चतुर चालक फिल्म है जहाँ संजय दत्त/राजकुमार हिरानी आपको वो सब दिखाएंगे जो जो वो चाहते हैं.

इसमें न तो संजय दत्त की ऋचा शर्मा, रिया शर्मा या रेखा से की गयी उनकी शादियां हैं, न घर में आके सुनील दत्त के साथ रहती उनकी कोई भी बहु है न ही संजय दत्त की पहली बेटी है. न उनके अनेको अनेक अफेयर्स का जिक्र ही है कहीं पे.शायद फंड्स की कमी थी या बेहद दवाब में निर्देशक और निर्माता ने बेहद जरुरी कई सीन्स काट ही दिए हैं. न ही संजय दत्त की बहनो को कोई जिक्र है जिन्होंने उनके कठिन दिनों में उनका काफी साथ दिया था.

बस मान्यता दत्त का बोलबाला दिखाया गया है. उनके कुछ एक सीन काटके पारिवारिक माहौल भी दिखा सकते थे निर्देशक. उनको पूरी फिल्म में अकेला और मजबूर दिखाया है जोकि हाल से बाहर आने के बाद दर्शक को बुरा लगता है.

फिल्म बेहद हंसी मजाक से शुरू होके जल्द ही एक ऐसे मुकाम पे पहुँच जाती है जहाँ आप बस एक कहानी देख रहे हैं. आपको कुछ फर्क नहीं पड़ता की सोनम कपूर कब आयी कब चली गयीं? आपको रणबीर कपूर के कपडे क्या हैं, उनकी शकल क्या है, कुछ नहीं दिखेगा. उन्होंने संजय दत्त को अपने आप में इतना आत्मसात कर लिया है आपको पूरी फिल्म में संजय दत्त दिखेंगे. सिर्फ संजय दत्त.

परेश रावल और मनीषा कोइराला अपनी बेहतरीन एक्टिंग से इस फिल्म को आपसे इस तरह जोड़ देते हैं की या तो आप अपने आप को उनसे जोड़ के माँ बाप की तरह सोचने लगेंगे या फिर कमलेश की तरह संजय की मदद करने की सोचेंगे.

अनुष्का का रोल बहुत ख़ास नहीं था. उनकी घुंघराली विग बेहद खटकती है. सारी मूवी में उनका एक ही बैग लेके घूमना और सपाट अभिनय रहित चेहरा बहुत ख़राब लगा है.वो नहीं होती तो भी फिल्म को कोई फर्क नहीं पड़ता.

तकनीकी रूप से बेहद शानदार केनवास मिला है रणबीर कपूर को. आपको ये फिल्म देख के अभिषेक बच्चन की गुरु फिल्म की याद आ सकती है. वो केनवास भी बहुत बड़ा मिला था उनको और उन्होंने खुद को साबित भी किया था.

अमरीका के कई सीन बेहद सुन्दर हैं और बिलकुल जबरदस्ती ठूंसे हुए नहीं लगते हैं.परेश रावल एक बार फिर बेहद मजबूर बाप के किरदार में नजर आये हैं और उन्होंने कई सीन्स में खुद को साबित किया है. विक्की कौशल की दमदार एक्टिंग इस फिल्म की सबसे मजबूत कड़ी है. उन्होंने कमाल का अभिनय किया हैंऔर कई जगह तो आप सिर्फ उनको देखते रह जाते हैं. उनकी फिल्म में एंट्री हो या क्लब के दृश्य हों य फिर परेश रावल के साथ के दृश्य हों. उन्होंने लगातार दिखाया है की वो कितने प्रतिभाशाली हैं.

फिल्म देखने के बाद एक तो आप संजय दत्त से कहीं न कहीं भावनात्मक रूप से जुड़ जाएंगे और उसके बाद फिर विक्की कौशल के बारे में गूगल पर सर्च करेंगे.

ये फिल्म हाल में देखने लायक है. घर पर बैठके आप उस माहौल को या फिर उस जीवंतता की महसूस कर पाएंगे जो ये फिल्म दिखाना चाह रही है.कई सालों में कुछ ही अच्छी मूवीज बन रही हैं आजकल और ये मूवी उनमे से एक है.

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