That single kid parenting(Hindi post)


अपना व्यवहार वो रखिये जैसा आप खुद अपने बच्चे को बनाना चाहते हैं. वित्तीय चालाकियां और सामाजिक व्यवहार बच्चे आप से ही सीखते हैं. इकलौते बच्चों का आजकल और भी बुरा हाल है. कुछ को छोड़ कर बाकि कई अभिभावक अपने इकलौते बच्चे को इतना ज्यादा मानसिक दबाव में पालते हैं की ऐसा करते करते वो खुद भी मानसिक रोगों का शिकार हो जाते हैं और उनका बच्चा भी पूरे समाज से उसी तरह का बादशाही रवैया चाहता है जैसा की उसे इकलौता होने के कारण अपने माता पिता से मिलता है. 

फिर इस तरह के अकेले बच्चों को मिल रही सुविधाओं को देख बाकी बच्चे या तो कुंठा ग्रस्त हो जाते हैं या फिर उसकी ऊलजलूल मांगों को लेकर उसका जमकर मजाक उड़ाना शुरू कर देते हैं. एक बच्चा बहुत है कहकर उस बच्चे को उग्र और भारी अपेक्षाओं के दबाव में पालना बहुत बड़ी नाइंसाफी है. इन अकेले बच्चों की मम्मीओं के अंदर जो असुरक्षा और अति महत्वकांशी अपेक्षाएं पलने लगती हैं वो उनको गहरे मानसिक अवसाद की तरफ ढकेलने लगती हैं. 

और कई माँएं या तो अपने बच्चों को दूसरों का मजाक उड़ाना सिखा देती हैं या फिर अपने बच्चे की छोटी छोटी जिदों के लिए कभी नौकरों से तो कभी स्कूल बस के स्टाफ से तो कभी टीचरों से तो कभी रिश्तेदार या पडोसी लोगों से लड़ना झगड़ना शुरू कर देती हैं. इनके पतियों को लगता है की पत्नी बच्चे को लेकर बहुत चिंतित है. पर जब बड़े होकर यही बच्चे अपनी माँ की तरफ देखते तक नहीं या फिर शादीशुदा जिंदगी में जरुरत से ज्यादा दखल अंदाज़ी से परेशान हो घर अलग करते हैं तब ये लोग महसूस कर लेते हैं की घर में दो बच्चे होने चाहिए थे. 

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