Two cups of tea from two daughter in laws.

Image courtesy – Mr.Google

एक दिन शशिजी को सत्संग में जाना था. वो अपनी सहेली रीता जी के यहाँ उनको साथ ले जाने के लिए गयीं. रीताजी बोलीं “आपको आज अपनी छोटी बहु अम्बिका के हाथ की चाय पिलवाती हूँ, वो बंगलौर से आयी हुयी है आजकल”.

थोड़ी देर बाद चाय पीके दोनों सत्संग में चली गयीं.

अगले हफ्ते शशिजी को फिर कोई काम पड़ा तो वो फिर रीताजी के यहाँ गयीं. इस बार रीताजी ने कहा की “आप बैठो आराम से बातें करेंगे, मेरी बड़ी बहु रसोई में है, वो चाय बहुत बढ़िया बनाती है, अभी दो कप बनवाती हूँ.”.

बहु ने रसोई में से हंस के कहा “मैंने तो चाय का पानी पहले ही गैस पर रख दिया है मम्मी”.

चाय थोड़ी देर से पर बहुत बढ़िया बन के आयी.

मन में कई तरह के विचार उठने लगे. पर शशि जी ने सोचा कभी और फुर्सत से पूछूँगी.

कुछ महीनो बाद दोनों सहेलियां एक किट्टी पार्टी में मिलीं तो शशिजी ने उत्सुकता जाहिर की “आप ने दोनों बहुओं की तारीफ करके चाय बनवाई. क्या आप बहुओं को खुश करके काम करवाती हो”?

रीताजी ने गंभीरता से उत्तर दिया. “शशिजी उस दिन आप बहुत जल्दी में आयी थीं तो छोटी बहु से चाय बनवायी थी, क्यूंकि वो इंजिनीयर है और काम पे जाती है. हॉस्टल में रह के पढ़ी लिखी है. तो काम जल्दी से कर लेती है. चाय बनाते वक़्त सारी चीज़ें साथ डालके उबाल के चाय फटाफट बना देती है”.

पर अगली बार आप बहुत फुर्सत से आयीं थीं तो चाय मैंने बड़ी बहु से बनवायी. वो गृहणी है, आराम से पहले दूध पानी मिलके उबालती है, फिर अदरक कूट के उस पानी में मिलाएगी, उबालेगी, फिर चीनी डाल के उस चाय के पानी को और उबालेगी, उसके बाद ही चाय की पत्ती डालके फिर उबाल के चाय बनाती है तो उसको थोड़ा टाइम लगता है चाय बनाते वक़्त. चाय वाकई बहुत बढ़िया बनती भी है.

अब मैं सास हूँ तो दोनों की दिनचर्या पता है तो अपने हिसाब से उनको काम का मौका भी देती हूँ और वक़्त पड़ने पर तारीफ भी करती हूँ. और जब मैं रसोई में जाती हूँ तो वो भी मेरी खूब तारीफ करती हैं.हमारी गृहस्थी है और एक परिवार की महिलाएं होने के नाते हम एक दूसरे को बराबर मान सम्मान देते हैं.

शशिजी का सिर आदर से झुक गया की रीताजी ने कितनी बड़ी बात कितने सादे शब्दों में बता दी.

महिलाओं को महिलाओं का आदर सबसे पहले करना चाहिए. पुरुषों का महिलाओं को सम्मान देने का नंबर तो बहुत बाद में आता है.

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