
हमारे एक मननीय वृद्ध रिश्तेदार जो अब विदेश में अपने बच्चों के पास सेटल्ड हैं, भारत के जाने माने प्रातत्वविज्ञानी रहे हैं। और हैदराबाद निज़ाम के म्यूज़ियम में अपने काम के लिए अवार्ड भी पा चुके हैं। उन्होंने ताजमहल के लिए जो मुक़दमा हुआ था उस में भी इंडियन आर्कियोलॉजी सर्वे ऑफ़ इंडिया की कमेटी मेम्बर के रूप में भी काम किया था।
ताजमहल के लिए जो मीनारें और एक्टेरियर फ़साड की जालियां बनाई गईं थीं उनके गोलकर फ़र्मे और खुरनी नाम की छेनी जिनसे क़ीमती पत्थर सान पर घिसे गए थे तुर्की से किराए पर आए थे। आप कभी तुर्की जाएँ तो इस्तांबुल के तोपकापी महल में जहाँ गुजरात के राजा के उपहार रखे हैं उसी सेक्शन में आगे वो किताबे बहीखाते हैं जिनमे ताजमहल की ज़मीनी बीम और तहख़ानों के कारीगरों के हिसाब किताब के बहीखते भी हैं। ये असल में ईरान के थे पर बाद में ईरान ने तुर्की की राजा को दे दिए थे ताकि फ़र्मो का हिसाब तुर्की करे।
आप कभी तुर्की और ईरान जाइएगा तो उस वक्त की आपस में जो कारीगरी का लेन देन हुआ था वो आपको कई म्यूज़ियम में खूब दिखेगा। और बड़े गर्व से देखते हैं भारतीय लोग।
ताजमहल के गेट के चारों कोनों पर जो चार मकबरे हैं शाहजहाँ की चार बीवियों के उनको लोकल बरेली कन्नौज और फिरोजाबाद के कारीगरों मिस्ट्रियों ने बनाया था।
वाराणसी से पुराने मंदिर कहीं के नहीं हैं। अगर इस जगह कोई भी मंदिर होता तो बनारस के पंडों के पास पक्का इन्फॉर्मेशन होती। मंदिर लेख उनके पास केदारनाथ बद्रीनाथ तक के हैं। तो ये लोगों ने कोर्ट में यही कहा की कोई भी उल्लेख नहीं मिला है की अगर में कोई तीर्थ था या कोई राजा ने मंदिर बनवाया था।
ताजमहल की बीम्स ही ईरान के कारीगरों ने आम के लट्ठों पर बनाई थीं। जो इसीलिए थीं की अगर कल को बाढ़ आई तो ये लट्ठों पर टिक के इधर उधर होकर बहेगा पर गिरेगा नहीं। मंदिर के लिए तो ख़ुद आर्कियोलॉजिकल सर्व ऑफ़ इंडिया ने सुप्रीम कोर्ट में रजिस्टर्ड हलफनामे के साथ कहा है की कोई मंदिर नहीं था। ताजमहल से पहले के जो लैंड सर्वे हैं वहाँ भी ये ख़ाली ज़मीन ही थी।
अकबर के समय तक के लैंड इन्फॉर्मेशन दिल्ली की आर्काइव्स में ख़ाली ज़मीने हैं। तब भी जंगलों की ख़ाली ज़मीन ही थी। यमुना की उस पार और इस पार कोई श्मशान भी नहीं था। बसावट ही नहीं थी। आज भी नहीं है। मंदिर होता तो बसावट तो पक्का होती, घाट भी होते। अब व्हॉट्सएप यूनिवर्सिटी के ज्ञान झाड़ने वालों को इतनी अक्कल होती तो बात ही क्या होती?