भगवान के घर अंधेर नहीं है।

भगवान के घर अंधेर नहीं है!
स्वरचित – प्राची वार्षण्ये
सुबह से मीनू जी काम में लगीं थीं। सबको चाय दी, नाश्ते की तैयारी करी, काम वाली से झाड़ू पोंछा करवा के, उसको कपड़े धोने को दिये, डिश वॉशर से बर्तन निकाल के शेल्व्स में लगाये। तरबूज़ का जूस निकाल के बोतलों में भर के फ्रिज में रखा। तरबूज़ निकल जाने से फ्रिज में काफ़ी सारी जगह हो गई थी तो पानी में पड़े आम पौंछ कर फ्रिज में लगाये। कामवाली आके बोली “कल मोली भाभी का बर्थडे था क्या”? मीनू जी चौंक कर बोलीं “हाँ था, क्यों क्या हुआ”? तो कामवाली बोली “वो अंदर अपनी मम्मी को बात कर रही हैं तो बोल रहीं हैं की इतना पैसा है पर मम्मी बहुत कंजूस हैं”. मीनू जी चुप हो गईं। अपनी बांग्लादेशी काम वाली पर उनको बहू से ज़्यादा भरोसा था। बहू की बात बात में झूठ बोलने की आदत वो एक साल में खूब अच्छे से जान गईं थी। पर चुप ही रहती थीं। क्योंकि वो सारा दिन अपने कमरे में
ही रहती थी। सॉफ़्टवेयर इंजीनियर थी तो वर्क फ्रॉम होम ले रखा था।
मीनू जी चुप हो गईं।
उनको लगा कि बहू का ऑनलाइन ऑफिस है तो वो मीटिंग में होगी। इतनी देर से ख़ुद ही काम में लगी हुईं हैं। ये एक बार भी कमरे से बाहर नहीं निकली। और ऊपर से ये इल्ज़ाम भी की कुछ दिया नहीं। जबकि उन्होंने कल सुबह ही पाँच हज़ार बेटे को दिये थे की इसको सूट दिला लाना। वो चिल्ला भी रहा था की अभी पिछले हफ़्ते तो तीजो की दस हज़ार की शॉपिंग कराई है आपने। अब क्यों दे रही हो? पर उन्होंने ज़बरदस्ती बेटे को थमा दिये थे क्योंकि बहू लैपटॉप पर बिजी थी।
कुछ ही देर बाद ही उनका बेटा मोहित बाहर से बाल कटवा के वापस आया तो उन्होंने पूछा कि क्या कल तुम लोग ने कुछ ख़रीदा था मेरे दिये पैसों का? तो वो बोला की दिये तो थे, पर उसने कहा की जब बाय वन गेट वन की सेल लगेगी तो तब ख़रीद लूँगी। अभी रख लेती हूँ। मीनू जी ने कहा की “सही तो कहा उसने, समझदार है ख़ूब”। मोहित हँसता हुआ बाथरूम में चला गया।
थोड़ी देर बाद जब पराँठों की ख़ुशबू उड़नी शुरू हुई तो बहू ने कमरे से बाहर झांक के कहा “मम्मी नाश्ता रेडी हो गया, मैं आके ले लूँ”? मीनू जी ने कहा बेटा जब मीटिंग फिनिश हो जाये तो तसल्ली से खा लेना। उधर फिर बेड गंदा हो जाएगा। तो मोली ने कहा “तो ठीक है मैं ५-१० मिनट में आती हूँ”। अब पाँच दस मिनट तो दूर वो ठीक दो मिनट में आ कर डाइनिंग टेबल पर जम गई। मीनू जी आटे में घी दूध का मोयन डालके ऐसे बढ़िया पराँठे बनाती थीं की सात मोहल्लों तक ख़ुशबू उड़ती थी। मोली ने प्लेट में पनीर के सब्ज़ी, हरी चटनी, सोंठ के साथ चार मेथी आलू के पराँठे रख के ख़ाना शुरू कर दिया। सामने मंदिर की शेल्फ के पास पूजा करते मीनू जी के पति अमित जी उनकी तरफ़ देखा। पसीने में बेहाल मीनू जी ने इशारा किया की वो लगातार बना रही हैं, फ़िकर ना करें। दिल ही दिल में हंस भी दीं क्योंकि अमित जी को जान से ज़्यादा प्यारे थे पहली पाँत के सिके कुरकुरे पराँठे। जिन पर अब बहुरानी शान और अधिकार से हाथ साफ़ कर रही थी। मीनूजी को लगा था की ये एक एक करके लेगी। तो तब तक ये भी आके नाश्ता शुरू कर लेंगे।
इतनी ही देर में बेटा मोहित भी आ बैठा टेबल पर। थोड़ी ही देर में मीनू जी ने काम वाली को इशारा किया पराँठा बनाने को। वो भी नाश्ता करने लगीं। बोलीं “मोली ला बेटा अपनी मम्मी से बात कराना। वो सोचेंगी की मैं बात नहीं करती।”। मौली ने टिश्यु से हाथ पौंछ कर कहा “हाँ मुझे भी बात करनी ही थी, चलो साथ में बात करते हैं। मम्मी भी सोचेंगी की दो दिन हो गये मैंने कॉल क्यों नहीं किया”। कनखियों से उसने अमित जी और पति मोहित की तरफ़ देखा। दोनों पुरुष गर्व से मोली को देखने लगे की कितनी बढ़िया बात है। अमित जी ने मीनूजी को घूरा की देखो बिचारी माँ को फ़ोन तक नहीं करती।
मीनूजी दिल में घुट कर रह गईं। अब क्या कहतीं की झूठ की बड़ी सी पुड़िया है ये। बहू ने मोबाईल की तरफ़ हाथ बढ़ाया ही था की मोबाईल घनघनाने लगा। “लो ये तो मेरी मम्मी का ही है”। वो खिलखिला के हंस दी। स्पीकर पर मोबाईल ऑन करके वो बोलने ही वाली थी।उधर से चिल्लाती हुई आवाज़ आई मोली की माँ मंजुला जी की – “कर लिया नाश्ता? क्या बनाया था तेरी सास ने? बता तो नहीं दिया की आज छुट्टी है? कमरे में बैठी रह। मैं बाज़ार जा रही हूँ तो वीडियो काल कर लूँगी।फिर तू बताना की कौन से जूते लूँ, मैं बीस हज़ार से कम का नहीं लूँगी, तेरा इतना भारी प्रोमोशन हुआ है। मज़ाक़ बात है? मोहित को मत बताना अभी तीन चार महीने”।
अमित जी, मोहित तो जैसे जड़ हो गये, मोली का चेहरा शर्म और ग़ुस्से से तमतमा रहा था। उसने कहा “मम्मी कुछ भी बोलना शुरू कर देती हो, सब सुन रहे हैं। स्पीकर पर है मोबाईल मेरी सास बात करना चाहती हैं तुमसे”। अब मीनूजी को बहुत संतोष सा मिला, वो बोलीं “अरे आप बाज़ार गई हो तो रास्ते में से इसको भी पिक अप कर लो, ये तो सुबह से रूम में ही रहती है। इसी बहाने ये शॉपिंग कर आयेगी। मैंने कल इसको पाँच हज़ार दिये हैं बर्थडे गिफ्ट के, तो ये कुछ ख़रीद लेगी”। उधर से मोली की माँ ने हाँ या ना क्या कहा उनको कुछ पता नहीं। बहू ने ख़ाना पूरा खाया की नहीं, पति और बेटे ने नाश्ते में और पराँठे बनवाये की नहीं। पर मीनूजी ने एक ही पल में बहु का झूठ उसकी माँ को बता के जो तसल्ली महसूस की वो अतुलनीय थी।
एक साल से जितना काम उनकी बहू अपने वर्क फ्रॉम होम के नाम से करवा रही थी, जितना दुर्व्यवहार उनके पति और बेटा बहू की मोटी सेलरी के नाम पर उनके साथ कर रहे थे कि उसको का होता है वो सब आज एक पल में आँधी की तरह उड़ गया था। वो बाथरूम से सुन रही थीं की बेटा काम वाली से पैसे बढ़ाने कि बात कर रहा था कि आप ही ख़ाना बनाना शुरू कर दो। मम्मी को आराम रहेगा। पति जो इसी बात पर क्लेश शुरू कर देते थे की नहीं तुम ही बनाओ, भी अब भीगी बिल्ली की तरह हाँ में हाँ मिला रहे थे।
*कृपया कॉपी पेस्ट करके किसी और ग्रुप में पोस्ट ना करें। ये मैं अपनी वेबसाइट पर पोस्ट कर चुकी हूँ तो प्लेग्रिज्म का केस भी सकता है आप पर। 🙏🏻😆

Leave a Reply