सबका खुशियों से राब्ता कम है,
बहुत बड़ा घर है फिर भी यारों,
मेरे घर में भी एक कमरा कम है,
मुझे एहसास दिलाती है हर पल,
छत पे चिड़ियों का पानी कम है,
जाके जरा झाँक,पानी रख आऊँ,
आज भी दूसरों के दालान में यूँही
देखकर घंटों बतियाने का मन है,
तुमसे मिले जमाना गुजर गया,
आसमान वही तारे वही पर बस,
इस कामकाजी हथेली में शायद
तुमसे मिलने की लकीरें कम हैं!
~प्राची~
well done prachi.