एक मेहनती पुत्र, वफादार पति, गंभीर पिता और बेहद मंजा हुआ शानदार व्यक्तित्व का धनी अभिनेता चल बसा. मैंने करीब चार पांच दिन पहले उनको सपने में देखा था और उनकी तस्वीर अपनी व्हाट्सप्प की डीपी बना ली थी. और वो चल बसे. कुछ सत्तर अस्सी लोगों ने मैसेज भेज के पुछा की “क्या तुमको आभास हो गया था?” हाँ शायद. ऐसा था कुछ. मेरा पहला प्यार थे वो. उनका हंसना, चमकती आँखें और बेहद आकर्षक गोरा चिट्टा व्यक्तित्व. वो बिलकुल मेरे पिता जैसे थे. बेहद सुन्दर और बड़े जीवंत.
मैंने कभी भी दाढ़ी मूंछ को पुरुष व्यक्तित्व का महान हिस्सा नहीं माना है. मुझे दाढ़ी मूछ भी सिर्फ शशि कपूर पर ही अच्छी लगी. उनके फ़िल्मी गीत “औ कामिनी” पर कितनी बार क्लास भर के बच्चों के सामने मैंने बेझिझक डांस किया होगा. वो सत्तर अस्सी के दशक की हर लड़की के दिल की धड़कन थे. उनके किस्से फ़िल्मी दुनिआ और स्टारडस्ट जैसी मैगजीन में खूब पढ़े थे.उनका पत्नीव्रत स्वाभाव और पैसे की तंगी से गुजरना जैसे संवेदनशील मुद्दों को बार उखाड़ते उधेड़ते पत्रकारों पे बेहद गुस्सा भी आता था.
उन्होंने एक बेहद संघर्ष भरे जीवन के बाद सफलता कानायब दौर जिया, अपने बच्चों को बिना किसी के आगे हाथ पैर फैलाके और गन्दी राजनीती करके घटिया रोल करने पे मजबूर किया.न ही सुबह परिवार के साथ और शाम को गर्लफ्रेंड के साथ शामें बितायीं. न ही पैसे के लिए लीचड़ राजनेताओं का साथ लिया.न ही किसी को आर्थिक धोखा दिया.
उनके बच्चे बेहद गुमनाम परन्तु सफल जिंदगी जी रहे हैं. यही उनकी पूँजी थी जो उनके साथ गयी है. ईश्वर उनकी आत्मा को शांति प्रदान करे.🙏🏼