लैंड क्रूज़र की सवारी –
स्वरचित – प्राची वार्षण्ये
संडे की सुबह सैर के लिए जाने की सोच कर प्रभास उठा ही था कि उसकी पत्नी पूजा ने उसको सब्ज़ी लाने को बोल दिया। वो गाड़ी की चाभी और बटुआ लेके सब्ज़ी मार्केट चला गया था। पूजा का भी कहना सही था कि सब्ज़ी टाईम से आ जाएगी तो काम वाली से छँटवा के धुलवा के फिर कटवा के फ्रिज में हफ़्ते भर के लिये सहेज दी जायेंगी।
प्रभास ने वापस आते समय अपनी सोसाईटी के गेट पर एक बिलकुल नई चमचमाती सफ़ेद लैंड क्रूज़र गाड़ी को देखा। उसमे मोटा सा लोगो देखकर वो पहचाना की ये तो उसके बॉस की ही नई गाड़ी है।उसकी काम वाली बाई नुसरत उसमे से उतर रही थी। अपने जूड़े में मोटा सा गजरा लगाये उसने बहुत ज़ोर से हंसकर ड्राइवर को टाटा किया और सोसाइटी के अंदर की तरफ़ चल दी।
प्रभास को बहुत अजीब लगा। पर वो घर आकर कुछ बोला नहीं। कुछ देर के बाद उसने अपनी पत्नी पूजा को अलमारी में कुछ रखते देखा। जब वह वापस रसोई में चली गई तो उसने अलमारी में चेक किया तो नुसरत का लाल रंग का बटुआ था जिसमें पाँच हज़ार के नोटों की गड्डी थी। उसका मन विचलित हो गया। वो मन ही मन उबलने लगा।पर ब्रेकफास्ट के लिए देर हो रही थी तो वह नहाकर तैयार होने के लिए बाथरूम में चला गया। उसने सोचा कि वह शाम को पूजा को सब बता देगा। अभी तो नाश्ता करके वो सब लोग शॉपिंग और मूवी देखने के लिए जाने वाले थे।
शाम को जब प्रभास सपरिवार घर वापस आ रहा था तो उसने सामने के टावर में रहने वाली अनु अरोड़ा को उसी नई सफ़ेद लैंडक्रूज़र में बैठ के गेट से बाहर जाते हुए देखा। अब प्रभास को लगा की उसको नुसरत वाली बात अनु अरोड़ा जी को बता देनी पड़ेगी। वो एक बहुत बड़े कंसलटेंट इंजीनियर सुरेश अरोड़ा जी की बीवी थीं। वो प्रभास की कंपनी का भी काम करते थे तो उनसेकाफ़ी जान पहचान थी।वो अभी कुछ महीने पहले ही इस सोसाइटी में शिफ्ट हुए थे। उसके बाद ही उन्होंने प्रभास की कंपनी में अपनी सेवाएँ देनी शुरू की थीं। प्रभास के बॉस मिश्रा जी उनको बहुत मानते थे। अब उसे बहुत बुरा लग रहा था कि इतने बड़े बड़े लोगों के बीच उसकी काम वाली कितना गंदा लफड़ा कर रही थी।
कैसे कैसे कर के उसका शनिवार गुजरा। नुसरत अपने नियम से काम करने आई। वो अपना ग़ुस्सा पीके चुपचाप बैठा रहा। दिल ही दिल में वो जो ज्वालामुखी ज़ब्त किए बैठा था उसका घर में किसी को भी कुछ पता नहीं था।
सोमवार के दिन वो जब ऑफिस पहुँचा तो सबसे पहली मीटिंग शुरू हो चुकी थी। अरोड़ा जी भी थे वहाँ और मिश्रा जी खूब हँस हँस के बातें कर रहे थे। उसको लगा कि जब मिश्रा जी अकेले होंगे तो वो उनको बता देगा की उनका ड्राइवर और उसकी काम वाली का जरा देख लें। वो उसकी सोसाइटी में उसकी कामवाली को ड्राप करके गया था। सभी लोग उसके बॉस मिश्रा जी को उनकी नई लैंड क्रूज़र के लिए बधाई दे रहे थे।
अपने रूम में आके उसने अपना सामान व्यवस्थित किया। चाय के लिए पेंट्री में बोला। मेल चेक करते हुए उसने मोबाईल को चार्जिंग में लगाया।तभी मिश्रा जी वहीं आ गये। उन्होंने आकर कमरे का दरवाजा बंद कर लिया तो प्रभास को बहुत अजीब लगा।
उन्होंने प्रभास से कहा “प्रभास वो जो कारघर वाले प्रोजेक्ट का कंसलटेंट है ना, उसको ही अपनी कंपनी में ले लेते हैं। इस अरोड़ा को निकाल के बाहर करो।
प्रभास चौंक के कुर्सी पर बैठे बैठे ही थोड़ा पीछे खिसक गया।”क्यों सर”? तो मिश्रा जी उसको आँख मार कर बोले “इनकी नियत ख़राब हो रही है मेरी नई वाली गाड़ी देखकर”।
प्रभास से रहा नहीं गया। वो बोला “परंतु सर कल तो इनकी बीवी सैर कर रहीं थीं आपकी गाड़ी में”।
मिश्रा जी आँख मारकर ज़ोर से हँसे “अरे वो सैर करते हुए ही तो मुझको सैर कराने आई थी,सारी रात सोने नहीं दिया मैंने उसको। अपनी वाईफ़ को मालदीव भेजा है उसकी सहेलियों के साथ, अब इसी से काम चला रहा हूँ। तुम्हारी सोसायटी में इसीलिये तो रखा है ताकि जब मन चाहे इसको बुला लूँ”। “पर ये खर्च बहुत करती है, एक बार कार्ड दे दो तो २-३ लाख रुपये माल में उड़ा आती है”। मेरे दोस्त है ना गुप्ता उसको पता नहीं कितना ऊँचा रेट बोली ये।
प्रभास के पैरों तले से ज़मीन निकल गई हो जैसे। उसके कानों में घंटी बजने लगी। कहाँ वो अपनी कामवाली की बात बताने वाला था। यहाँ तो जिनको इज़्ज़तदार समझ रहा था उनकी पोल खुल रही थी। मिश्रा जी बोल रहे थे “यार ये कंसलटेंट काम पाने के लिए ख़ुद ही ऑफ़र करते हैं तो हर छह महीने में हम भी आदमी बदल कर औरत से दिल बहला लेते हैं”।
प्रभास बोला “सर आपका ड्राइवर भी नया है ना?”। मिश्रा जी बोले। “लो तुमको पता नहीं है क्या? डंब हो! तुम्हारी काम वाली का ही तो छोटा भाई है।परसों तरसों उसको ले गया था हाजी अली दरगाह पर सुबह, मुझे लगा कि तुम थैंक यू बोलोगे, तुम्हारी वाइफ़ ने ही तो ऑफिस पोर्टल पर ड्राइवर की जॉब देख कर यहाँ उसकी गारंटी दी थी, एडवांस भी दिया मैंने पाँच हज़ार, वो दुबई में लैंड क्रूज़र ही चला करके आया है तो सही से चला रहा है गाड़ी।”
प्रभास बोला”सर मैं बिजी रहा तो कुछ बात नहीं हो पाई वाईफ़ से”।
मिश्रा जी उठ गये कुर्सी से, बोले “कारघर वाले को बुलाओ ऑफिस, बता रहा था कि वाईफ़ कमाल है मेरी”।
प्रभास फीकी सी हँसी हंस के रह गया। मिश्रा जी के बारे में उड़ते उड़ते सुना था उसने। कई बार ऑफिस की कुछ ख़ास महिलाओं को बीस बीस हज़ार वाले गिफ्ट देते तक देखा था उसने। पर आज उसको महसूस हो रहा था की कई बार जो दिखता है वो होता नहीं है। अपनी ओछी मानसिकता पर भी उसको बहुत गिलटे महसूस हुआ। उठाकर अपनी अलमारी से कुछ गिफ्टेड पेन ड्राइव अपने बैग में रख लीं। कल नुसरत अपनी बेटी के लिए माँग रही थी की स्कूल प्रोजेक्ट सेव करके स्कूल ले जाना है।

Hath ka kamaal(Hindi story).

अनुज बड़ा हैरान हो गया जब सोसाइटी की मीटिंग में सब ने स्वर में कहा की वार्षिकोत्स्व के डिनर प्रोग्राम के लिए हलुआ और खीर उसके घर से ही आएगा। अभी जुम्मा जुम्मा सात महीने पहले ही वह अपनी पत्नी नीतू और बच्चों के साथ यहाँ शिफ्ट हुआ था। पापा के चल बसने के बाद जब तीनो भाईओं में हिस्से बांटे हो गए तो घर परिवार बिखर गया था। वो घर में सबसे छोटा था। दोनों भाभियाँ इंजीनियर थी। उसकी पत्नी घरेलु पसंद करके लायी गयी थी ताकि घर का काम नौकरानी धोबिन की देखभाल व् उन दोनों भाईओं के बच्चों के ट्यूटरों पर नजर रखने को एक महिला घर में तो रहे। वो समझता सब था परन्तु सबसे छोटा और सबसे कम तनख्वाह पाने वाला सदस्य होने के कारण चुप रहके अपनी नौकरी में व्यस्त रहता था।

थोड़े समय के बाद एक एक करके उसको भी दो बेटे हो गए। पत्नी और भी ज्यादा खटने लगी। पापा सब देखके भी अनजान बने रहते थे क्यूंकि उनकी दवाइओं का खर्चा दोनों बड़े बेटे ही करते।स्वार्थवश वह जानबूझकर दिन भर छोटी बहु को फ़ोन पर आदेश देती दोनों बहुओं के व्यवहार को भी अनदेखा कर देते। नीतू बेचारी दिन भर पूरे घर में काम करती दौड़ दौड़ के। हलकान हो जाती पर चूं न कर पाती।

पूरे घर के लिए नीतू प्याज पुदीने के परांठे आलू की रसीली सब्ज़ी और रबडी बनाती तो कोई ये भी नहीं पूछता की तुम्हारे लिए बचा की नहीं। नवरात्री में दोनों जेठानियाँ भर भर के बच्चों के दोस्तों को बुलवा लेती पर कभी रसोई में पैर भी न रखती। नीतू हलवा चने सुखी सब्ज़ी रायता बना के सुबह से तैयार रहती और गरम गरम
पूरियां उतार के बड़े बड़े थाल बहार भिजवा देती। पसीने में नहाती हुयी खुद के पैर दबाती रहती साथ साथ में। कभी सारा परिवार मेंगो आइसक्रीम की फरमाइश करता तो सारा दिन फ्रिज में चार चार चक्कर लगाके बार बार आइसक्रीम को मिक्सी में घोट घोट के जमाती। क्यूंकि बड़ी जेठानी ने फ़ोन पे आर्डर देके ऐसे ही करने को कहा था। सफ़ेद रसगुल्ले बड़े बड़े ही खाये जायेंगे तो दो किलो पनीर फेंट फेंट के उसके कंधे दर्द करने लगते पर दोनों जेठानियाँ बड़ी बेशर्मी से डोंगे भर भर के अपने रूम्स में ले जाती। नीतू चुपचाप उनका ड्रामा देखती रह जाती। पति अनुज सब देख के भी अनदेखा कर जाता।

कभी किसी भाभी के बच्चे का बर्थडे है तो केक तक उसकी पत्नी घर पे ही बना लेती थी. उसके हाथ के रसीले छोले और बड़े बड़े खस्ता पनीर भरे भठूरे बनते समय जो बढ़िया खुशबु पूरे मोहल्ले में उठती थी उसका तो कोई जवाब ही नहीं था.

फिर ससुर के गुजर जाने के बाद सब कुछ बँट गया। पापा की देख रेख का खर्चा हम करते थे करके उनको छह करोड के घर के बिकने पे कुल डेढ़ करोड दिए दोनों भाईओं ने। जिन भाभिओं के कहने पे वो अपनी पत्नी के खाने में पहनने ओढ़ने में दिन रात गलतियां निकालता था उन भाभिओं ने एक बार अपने पतिओं से यह नहीं कहा की क्यों हिस्सा मार रहे हो छोटे भाई का?

अनुज खून का घूँट पी के रह गया। सत्तर लाख का फ्लेट खरीद के वो इस सोसाइटी में आ बसा था। अब इस सोसाइटी में आते ही उसके परिवार के साथ कई परिवारों का आना जाना शुरू हुआ तो दिन रात उसके घर भीड़ लगने लगी। पत्नी नीतू ने घर पे ही अचार मुरब्बे नमकीन मीठा बनके बेचना शुरू कर दिया। क्यूंकि ज्यादातर कामकाजी महिलाएं हैं सोसाइटी में तो कई महिलाओं ने उसको घर पे ही बच्चों का क्रेच चलाने की राय दे डाळी। नीतू ने हिम्मत करके वो भी खोल लिया।

कोई दो साल गुजरे तो एक दिनअनुज नीतू की कमाई का हिसाब लगाने बैठा तो वह दंग रह गया की घर पे रहके जरा सी तारीफ करने पर उसकी पत्नी ने क्या कमाल के पैसे कमा लिए थे। उसको बहुत पछतावा हुआ की उसने अपनी पत्नी के साथ कितना बुरा सलूक किया था एक समय मे।

पर किस्सा अभी बाकी था जैसेः। एक दिन उसके बच्चों की टीचर ने उसको ईमेल भेज के स्कूल बुलाया और उसकी पत्नी को स्कूल बुलाके बच्चों को कुकिंग करना सीखने को कहा। अनुज को अब समझ आया की कोई भी काम छोटा या बड़ा नहीं होता बस लगन और समझ होनी चहिये।

उसको बहुत हंसी भी आयी की कहाँ उसकी पत्नी को नौकरानी समझने वाली भाभियाँ अब हजारों रूपये नोकरानिओं को दे रही हैं कहाँ उसकी सीधी साधी पत्नी ने दिन रात रसोई का काम करके अब वो दक्षता हासिल कर ली थी की घर पे रहके ही वो उसकी दोनों भाभिओं से भी कई गुना पैसा कमा रही थी.