😇पतियों के मन में छिपी हुयी भावनाएं😇
अभी हाल ही में मेरी एक एक महिला मित्र अपने बेटे का रिश्ता तय करके भारत से वापस आयीं. वो अपने पति के उग्र स्वभाव से बड़ी विचलित रहती थीं और हमेशा उनकी काफी बुराई भी करती थीं.पर किन्तु परंतु में विधि का विधान समझ कर चुपचाप जीवन व्यतीत कर रही थीं.
पर अब मिलीं तो अपने पति की काफी तारीफ़ कर रही थीं और चेहरे पे भी बड़ा गर्व का भाव था. बहुत ही ख़ुशी और आश्चर्य सा हुआ. परंतु उन्होंने खुद ही खुलासा भी कर दिया की कैसे उनके स्वभाव में इतना सकारात्मक परिवर्तन आ गया.
भारत जाके वो और उनके पति अपने बेटे के रिश्ते के लिए दो तीन लड़कियां देखने गए. एक लड़की उनके बेटे के साथ ही पढ़ती थी, एक लड़की का रिश्ता उनके छोटे ननदोई ने सुझाया था और एक लड़की का रिश्ता उनको यहाँ दोहा क़तर में साथ काम करने वाले सहकर्मी ने बताया था.
वो आपस में यही बात तय करके गए थे की तीनो लड़कियों से मिलके फिर आपस में तय करेंगे की कौन सी लड़की अपने परिवार के लिए सही रहेगी.
उन्होंने पहली लड़की देखी जो बेहद सुन्दर थी, घर बहुत आलिशान था और पिता काफी रौबदार आईएएस अफसर थे. माँ भी सरकारी बैंक में ऊँची पोस्ट पर कार्यरत्त थी. लड़के को और माँ को बहुत अच्छा लगा की कितने बड़े घर की लड़की है. अच्छी शादी करेंगे.विदेश से जाने के कारन काफी आव भगत भी की गयी. लड़की के पिता ने करीब पांच करोड़ की शादी करने का ऑफर दिया.
दूसरी लड़की देखने गए तो वो ऊँचे मध्यम वर्गीय लोग थे, पिता सरकारी नोकरी में थे, माँ टीचर थीं और लड़की भी किसी अच्छी कम्पनी में सॉफ्टवेर इंजीनियर थी. उसके दो भाई शादीशुदाथे और अमरीका में नोकरी कर रहे थे. उनको वो परिवार भी बेहद अच्छा लगा.पर वो पहली वाली लड़की का वैभव बार बार मन को ललचा रहा था.
एक दिन के बाद उन्होंने सोचा की चलो एक बार तीसरी लड़की को भी देख ही लेते हैं क्योंकि उसके पिता के दो तीन फ़ोन भी आ चुके थे. पर पसंद तो पहली वाली लड़की ही रहेगी.मेरी मित्र ने कहा भी की रहने दो अब और लड़की क्यों देखें? उनका समय बर्बाद होगा और मना करेंगे तो लड़की का भी दिल दुखेगा. पर उनके पति ने एक ना सुनी.
ये लड़की भी इंजिनीयर थी परन्तु ऑस्ट्रेलिया में जॉब का ऑफर हाथ में था. और अगले महीने ऑस्ट्रेलिया जाने की सोच भी रही थी. पिता बड़े व्यवसायी थे परंतु माँ एक NGO चलाती थीं. छोटा भाई अभी स्कूल की पढ़ाई ही कर रहा था.
चाय नाश्ता करते करते उनके पति ने उस लड़की के पिता से कहा की मुझको एक दिन का समय भी ज्यादा लग रहा है अतः हम अभी इसी वक़्त सगाई करना चाहते हैं. मेरी महिला मित्र और उनका बेटा बहुत ही हैरान हो गए की ऐसे कैसे उनके पति ने तुरंत निश्चय कर लिया? पर उनके पति ने उनको इशारो में चुप रहने को कहा तो वो सुकुचा के चुप हो गयीं. पर क्योंकि सबको लड़की काफी पसंद आयी तो पास के ही बाजार से सामान खरीद के उन्होंने हाथ के हाथ रिश्ता तय कर दिया.
घर लौट के उनके पति ने कहा “पहली लड़की देखने गए तो उस लड़की ने हमको हल्का सा नमस्ते कर सिर्फ हमारे बेटे से ही सारा वक़्त बात करने में गुजारा. उसकी तनख्वाह और ऑफिस के बारे में ही पूछती रही.उसके पिता ने सीधा शादी की तैयारियों की बातें शुरू कर दी. उसकी माँ सारा टाइम नोकरों से चिल्ला चिल्ला के बात करती रहीं या फिर मोबाइल पे बात करती रहीं.तुम अकेले चुपचाप बैठी रहीं”.
“दूसरी लड़की के घर गए तो उसने भी सारा वक़्त या तो हमारे बेटे से बात की या फिर यही बताती रही की उसकी माँ का स्कूल में बड़ा माँ सम्मान होता है, उसकी तरफ कभी एक इशारा भी नहींकरती की घर का काम करो, उसने तुमसे कई बार इस बात का भी जिक्र किया की तुम एक गृहणी मात्र ही हो और तुम्हारी समाज में कोई वैल्यू नहीं है. तुमको घर से खाना बना के बेचने का व्यापार शुरू करना चाहिए. उसकी खुद की शादीशुदा बड़ी बहन का मोबाइल पे कॉल आया तो उसने बिना रिसीव किये काट दिया और उसको बताया तक नहीं की वो अभी व्यस्त है बाद में बात करेगी. अपने नौकर से बड़ी ही रूखी तरह बात कर रही थी. रसोई में कुछ गिरा तो देखा तक नहीं की नौकर ने क्या गिराया.
फिर उन्होंने कहा “जब हम इस लड़की के घर पहुंचे तो वो अपने छोटे भाईंको बड़ी लगन से पढ़ा रही थी, तुम्हारे हाथ के आपरेशन के बारे में बड़ी चिंता से पूछा, हमारे बेटे से उसकी तनख्वाह नहीं उसकी पसंद नापसंद पूछी और मुझसे पूछा की क्या मैं उसके ताऊजी के लिए कुछ मिठाईओं का पैकेट दोहा क़तर ले जाऊंगा? उसने अपनी माँ के साथ मिलके चाय नाश्ते इंतज़ाम किया और अपनी बुआ का फ़ोन आने पे शरमा के साफ़ साफ़ बताया की उसको देखने लड़के वाले आये हैं. वो तुम्हारी तरफ चिंता से देखती रही की तुम कैसे चाय का कप पकड़ रही हो.” उनके पति ने कहा “हम बहु देखने गए थे जोकि हमारे परिवार का सदस्य बनेगी तो मैं ऐसी किसी भी लड़की के लिए कैसे हाँ करता जो तुमको इग्नोर कर रही हो या फिर गृहणी होने की वजह से तुमको तुच्छ समझ रही हो? जैसा सम्मान तुम मेरी माताजी को देती हो वैसा ही सम्मान तुमको भी तो अपनी बहु से मिलना ही चाहिए न”.
मेरी मित्र ये सुनके अपने पति के हाथ पकड़ के रोने लगीं और उनके बेटे की आँखों में भी आंसू आ गए की पापा कितनी ज्यादा बातें दिल और दिमाग में रखते हैं.
पति चाहे बोलें कुछ नहीं पर वो समझते सब कुछ हैं.