गांव के धनी परिवार ने अपनी बिटिया के हाथ पीले करने की सोची.ये नुक्ता सोचा गया की किसी भी आस पास के गांव में लड़की नहीं देंगे. क्यूंकि सबको पता था की परिवार बेहद धनी है. आगे का घर बिलकुल सादा साफ़ सुथरा कर दिया गया.कुछ भी कीमती नहीं रखा था. मेहमान घर बड़ा पर बिलकुल खाली हो गया.
कई परिवारों के यहाँ बामण नाइ दौड़ाये गए की वर चाहिए. धीरे धीरे लोग लड़की को देखने आने लगे.पर परिवार के मुखिया सबके आगे सादी रोटी और खीरे पुदीने का रायता परोस देते की लड़की को बस यही बनाना आता है. एक तो बड़ा परन्तु सादा खाली घर ऊपर से लड़की सुन्दर पड़ी लिखी पर सिर्फ रायता रोटी बनाने वाली तो लोग उठके चल देते. पर घर के मुखिया अडिग थे की इसी शर्त पर लड़की ब्याही जाएगी.
कई दिन हफ्ते गुजर गए. एक परिवार ने कहलाया की वो लड़की को देखने आ रहे हैं. लड़का शहर में बड़ा अधिकारी था पर घर के सारे फैसले घर की बुजुर्ग दादी ही करती थी.
लड़के वाले दूर गांव से ढूंढते ढूंढते लड़की वालो के यहाँ पहुंचे. रायता रोटी खाके दादी की तरफ देखने लगे. दादी ने अपनी पोटली से सोने की जड़ाऊ कोंधनी (कमर पट्टी) निकाल के लड़की को पहना दी. सब लोग जो सोच रहे थे की दादी मना कर देंगी, हैरान रह गए. पर चूँकि दादी रिश्ता जोड़ चुकी थीं तो सब घर को चल दिए.
घर पहुँच के सब के सब दादी के सर पे सवार हो गए. लड़का खुश था की लड़की सुन्दर पढ़ी लिखी मिली है.
लड़के की माँ ने सुनाया की इतने सादे परिवार में घर का गहना दे आयीं. लड़के के पिता को दहेज़ न मिलने का गम था. लड़के की बहन और चाची को यही गम खाये जा रहा था की लड़की सिर्फ रायता रोटी बनाएगी बाकी का खाना उन्ही को बनाना पड़ेगा.
दादी हंस के चुप हो गयीं. कुछ दिनों बाद जब ब्याह हुआ तो लड़की का मायके वाला घर बदल चूका था और वो अकूत दौलत दहेज़ में लेके विदा होने लगी. सब के सब दादी की खूब तारीफ करने लगे. पर लड़की के पिता बड़े विचार मग्न थे. उन्होंने सबके सामने दादी से पूछ ही लिया की उन्होंने ऐसा क्या देखा की लड़की के हाथ में सोने की कोंधनी थमा के रिश्ता मंजूर कर लिया?
दादी थोड़ा सकुचा सी गयीं, बोलीं “आपके गांव में आते वक़्त कोई गाय नहीं दिखी, और दिखी भी तो मरियल सी. पर रायते का दही बहुत बढ़िया था. किसी हष्ट पुष्ट गाये का ही था. ऐसी गाय आपकी अपनी ही होगी.हम जाड़ों के दिनों में आये और आपके यहाँ खीरा पुदीना खाया जा रहा था. काला नमक और जीरा यहाँ दूर दूर तककहीं नहीं मिलता पर आपकी बेटी के बनाये रायते में पड़ा था. रोटी के आटे में दूध और घी मिलके गूँथा गया था. आटा काफी देर तक गुंथा गया था मतलब आपकी बेटी सोच में डूबी थी की हम भी मना करके चले जायेंगे क्या? थाली पीतल की थी और नयी थी पर गलती से चम्मच चांदी की थीं सारी. मुझको समझ आ गया की आप हमारी परीक्षा ले रहे हैं. इसीलिए हाँ कर दी की जो अपनी बेटी को इतना सोच समझ के ब्याह रहे हैं वो खुद भी ऊँचे लोग ही होंगे.
लड़की के पिता ने दादी के चरण छू के रोना शुरू कर दिया. बोले पहले बहन को लालची लोगों में ब्याह के बहुत परेशां हुआ था इसीलिए ये सब किया.
इस तरह घर के बड़े बुजुर्गों को शादी ब्याह में ले जाने की परंपरा कितनी अच्छी बात है. उनको सब ज्ञान और अनुभव होता है. आजकल इन बातों को लोग नहीं मानते और कई बार आगे चल के ब्याह संबंधों में धोखा खाते हैं. बुजुर्गों का मान सम्मान करना चाहिए. वो कभी बुरा नहीं सोचते हैं.