Meeting you again!

पीनट बटर जेम सेंडविच को देसी घी

में सेंकने का दिल हो उठा,

आज किसी बिछड़े ने फेसबुक पे

मुझको ढूंढा तो फिर से यूँ ही

हलवाई की कढ़ाई में उबलता

मलाईदार ये दिल हो उठा,

जिन्हे भूल आये थे कभी

उनसे मिलके रेलवे स्टेशन

की चाय के कुल्हड़ सा सोंधा

जाने क्यों दिल हो उठा,

एक एक याद बरसों दिल में

है अब तक यूँ ही

आज तो घर में सिकते

पूजा कथा के कसार सा

ये दिल हो उठा,

पढाई तरक्की शादी पति बच्चे

सब भूल के आज फिर

पनवाड़ी से मांग जरा सा

गुलकंद सुपारी चबा लेने को

दिल हो उठा!

~प्राची वार्ष्णेय~

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